The Fact About baglamukhi sadhna That No One Is Suggesting



२८. ॐ ह्लीं श्रीं ठं श्रीभग-निपातिन्यै नमः-दक्ष-जानुनि (दाँएँ घुटने में) ।

पिङ्गोग्रैक-सुखासीनां, मौलावक्षोभ्य-भूषिताम् । प्रज्वलत्-पितृ-भू-मध्य-गतां दन्ष्ट्रा-करालिनीम्।

१८. श्रीभग-लोलायै नमः ऐश्वर्य-लक्ष्मी को नमस्कार।

४१. ॐ ह्लीं श्रीं मं श्रीकीलिन्यै नमः – जठरे (पेट में) ।

नमस्ते बगलां देवीं, शत्रु-वाक्-स्तम्भ-कारिणीम् ।

मां बगलामुखी यंत्र चमत्कारी सफलता तथा सभी प्रकार की उन्नति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहते हैं इस यंत्र में इतनी क्षमता है कि यह भयंकर तूफान से भी टक्कर लेने में समर्थ है। माहात्म्य- सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा। इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्‍ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। हरिद्रा यानी हल्दी होता है। अत: माँ बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है।

है। इससे भी भगवती बगला-मुखी की विशिष्ट शक्तियों का बोध होता है।।

योषिदाकर्षणे शक्तां, फुल्ल-चम्पक-सन्निभाम् ।

वाग् वै देवानां मनोता तस्यां हि तेषां मनांसि ओतानि

योगिन्यः सर्वदा पान्तु, महाऽरण्ये सदा मम ।।१६

अर्थात् सुवर्ण जैसी वर्णवाली, मणि-जटित सुवर्ण के सिंहासन पर विराजमान और पीले वस्त्र पहने हुई एवं ‘वसु-पद’ (अष्ट-पद/अष्टापद) सुवर्ण के मुकुट, कण्डल, हार, बाहु-बन्धादि भूषण पहने हुई एवं अपनी दाहिनी दो भुजाओं में नीचे वैरि-जिह्वा और ऊपर click here गदा लिए हुईं, ऐसे ही बाएँ दोनों हाथों में ऊपर पाश और नीचे वर धारण किए हुईं, चतुर्भुजा भवानी (भगवती) को प्रणाम करता हूँ।

इत्यष्टौ शक्तयः पान्तु, सायुधाश्च स-वाहना: । राज-द्वारे महा-दुर्ग, पातु मां गण-नायक: ।।१५

स्वर्णाभां कर-पीडतारि-रसनां भ्राम्यद्-गदां विभ्रतीम् ।

Vipreet Pratyangira Prayog sends back again the evil spirts, tantra-mantra prayogs along with doing away with the wicked and frees devotees from every one of the miseries.

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